Vishnu Ji ki Arti:भगवान विष्णु जी की ,सबसे प्रिय आरतियों में से एक हैं यह आरती.
Bhagwan vishnu:-मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है. न्याय को प्रश्रय अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं.
Vishnu Ji ki Arti :- भगवान विष्णु के धरती का पालनहारा माना जाता है जो की मनुष्य के पालन करने का काम करते है देखा जाये सम्बन्ध हमारे दैनिक क्रियाकलाप से है,जिससे हम अपना हैं। देवताओ में भगवन ब्रह्मा को श्रस्टि के उतपत्ति के देवता कहा जाता है विष्णु को पालन और भगवान शिव को संघारक में माना जाता है। भगवन विष्णु को प्रशन्न करने के लिए “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उपयोग किया जाता है। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं. पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है. त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है. ब्रह्मा जी को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव जी को संहारक माना गया है.
-:भगवान विष्णु जी की आरती | Vishnu Ji ki Arti :-
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट छिन में दूर करे ॥ ॐ ॥
जो ध्यावे फल पावे दुःख विनसे मन का प्रभु
सुख-सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटै तन का ॥ ॐ ॥
मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी। प्रभु०
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥ ॐ ॥
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तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तर्यामी प्रभु०
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॐ ॥
तुम करुणा के सागर तुम पालन कर्ता । प्रभु०
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥ ॐ ॥
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपती । प्रभु०
किस बिधि मिलूँ दयामय मैं तुमको कुमती ॥ ॐ ॥
दीनबन्धु दुःख हर्ता तुम ठाकुर मेरे । प्रभु०
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॐ ॥
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा । प्रभु०
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥ ॐ ॥