Special Story: कुर्सी छोड़ते ही आम आदमी बन जाते है बैतूल कलेक्टर, देखे पूरी स्टोरी
Special Story BETUL COLLECTOR : बैतूल, यूं तो मध्यप्रदेश – महाराष्ट्र का सीमावर्ती जिला अखंड भारत का केन्द्र बिन्दू कहा जाता है। कभी धार के राजा भोज का तो कभी मालवा के मुगलो एवं दिल्ली के सुल्तान के अधिन रहा खेड़ला राजघराना अपने समय के वैभवशाली इतिहास को संजो हुए रखा खण्डहर मे तब्दील हो चुका है। 52 गढ़ी परगनो का केन्द्र रहा खेड़ला राजवंश मुगलो के बाद विदर्भ के भोसले राज घराने के अधिनस्थ रहा। अग्रेंजी शासनकाल के बाद आजाद भारत में सीपी एण्ड बरार का हिस्सा रहे बैतूल आज मध्यप्रदेश का सीमावर्ती आदिवासी बाहुल्य जिला है।
बेतूल जिले में बीते 201 साल में गुलाम एवं आजाद भारत में कई डिप्टी कमिश्रर / कलेक्टर आए और चले गए लेकिन चंद ऐसे नाम आज भी उनके काम के चलते लोगो की जुबां पर याद आ जाते है। आदिवासी बाहुल्य जिले के इतिहास एवं वर्तमान का परिचय कराती पुस्तक मेरा बेतूल में जिन डिप्टी कमिश्रर जिन्हे डी सी एवं आजादी के भारत कलेक्टरो की पदस्थापना का जिक्र हुआ है। उनमें कई ऐसे रहे है जिनकी राष्ट्रीय एवं अंराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हुई है। 1822 से लेकर 2023 के जुलाई माह तक ऐसे यादगार कलेक्टरो में चंद नाम का जिक्र अकसर सुनने को मिलते रहता है।
बाप बेटे दोनो IAS Special Story
वर्तमान में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव 1985 में इकबाल सिंह बैस IAS बने थे। ठीक 28 साल बाद 2013 में उनका बेटा अमनवीर सिंह बैस IAS बना और वर्तमान में राज्य सरकार ने उसे जिला कलेक्टर (Special Story) बैतूल बना रखा है। सादा जीवन उच्च विचार के बारे में अकसर पढऩे को मिलता है। बैतूल कलेक्टर की सादगी एवं दर्यादिली बेमिसाल रही है। जिले में लोकप्रियता की कसौटी पर वें कहां है यह तो कह नहीं सकते लेकिन उनकी सादगी की बानगी अनेको बार देखने को मिली है।
आप शाम 5 बजे कालेज चौक से पुलिस लाइन की ओर निकल रहे हो और इस बीच दुबला पतला चेहरे पर हल्की दाढ़ी वाला व्यक्ति आपकी बगल से तेज कदमो से जाता दूर तक निकल जाएगा। जब तक आप उसे पहचान पाएगें तब तक वह आपकी आंखो से ओझल हो जाएगा। बैतूल जिला मुख्यालय पर अकसर आम आदमी की तरह चहल कदमी करते आपको बैतूल कलेक्टर सुबह शाम आपको देखने को मिल जाएगे। इन दिनो उनकी बिटिया और उनके चर्चे सुर्खियो में है। आरडी कीड्स चाइल्ड स्कूल कालापाठा में प्रतिदिन छोटे बच्चो को लाने एवं ले जाने के लिए पालक आते जाते है।
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अचानक एक दिन एक व्यक्ति को स्कूल परिसर में चहल कदमी करते देख लोग दंग रह गए। कुछ देर बाद अपने कंधो पर बिटिया को लेकर सीढ़ी से उतरते एक पिता को देख कर किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यह व्यक्ति कोई और नहीं प्रदेश के मुख्य सचिव का बेटा बैतूल जिले का कलेक्टर (Special Story) होगा। अपनी बेटी को प्रतिदिन स्कूल के समय लाने और ने जाने का काम स्वंय अमनवीर सिंह की श्रीमती करती है लेकिन एक दिन कलेक्टर साहब अपनी बिटिया को लाने पहुंच गए।
उस सुखद पल की तस्वीर तो हर कोई अपने मोबाइल मे कैद करना चाहता था लेकिन हिमाकत कोई न कर सका। जिला मुख्यालय का कलेक्टर निवास से पहली बार किसी अधिकारी के बच्चे जिला मुख्यालय के निजी स्कूल में पढ़ते देखे गए है। जानकार सूत्र बताते है कि यूं तो यहां पर आने वाले अधिकांश पालको में सभी सम्पन्न परिवार से आते है। स्वंय के दुपहिया से लेकर चौपहिया वाहनो से बच्चो का लाना ले जाना करते है।
पहली बार किसी कलेक्टर ….
संयोग इस बात का है कि इनमे से कितने बच्चो को आज से 20 साल बाद याद होगा कि उनके संग पढऩे वाली छात्रा बैतूल जिले के कलेक्टर साहब की बिटिया थी। यादो की तस्वीर में ऐसे सुखद पल याद रह जाते है जो जीवन में किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की सादगी से आपको प्रभावित कर जाते है। बैतूल से पहले नगर निगम सतना में आयुक्त के पद पर कार्यरत अमनवीर सिंह को 9 फरवरी 2021 को बैतूल का कलेक्टर बनाया गया था। (Special Story) अमनवीर सिंह बैस 2013 बैच के IAS अधिकारी हैं और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के बेटे हैं।
प्रदेश में पहली बार हुआ जब किसी IAS अधिकारी जो कि प्रदेश मुख्य सचिव के पद पर पदस्थ रहते उनके बेटे को जिला कलेक्टरी मिली हो। हालांकि पूर्व मुख्य सचिव के एस शर्मा के बेटे IAS के पुत्र मनीष शंकर शर्मा वर्तमान में 2003 के IPS हैं। जब शर्मा प्रदेश के मुख्य सचिव थे तब मनीष शंकर 1999 से 2001 तक रायसेन और सतना SP रहे। इकबाल सिंह बैस की पहली पोस्टिंग 21 जनवरी 1993 को सीहोर में हुई थी। वे वहां 9 अगस्त 1993 तक पदस्थ रहे थे। हर युवा IAS अफसर बनने का ख्वाब देखता है। लेकिन बहुत कम ऐसे होते हैं जो UPSC द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर पाते हैं। कईयों की तो पीढिय़ां ही निकल जाती हैं उनके परिवार में कोई सरकारी नौकरी ही नहीं मिल पाती फिर IAS बनने की तो बात ही दूर है।
श्री अमनवीर सिंह बैस बैतूल के 54 वे कलेक्टर | Special Story
मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के घर 22 नवम्बर 1988 को जन्मे अमनवीर सिंह बैतूल जिले में 12 फरवरी 2021 में पदस्थ हुए। वे वर्तमान में इस आदिवासी बाहुल्य बेतूल जिले के 54 वे जिला कलेक्टर के रूप में कार्य कर रहे है। IAS अफसर अमनवीर सिंह IIT रुड़की से तकनीकि शिक्षा प्राप्त की है। उनकी पहली पोस्टिंग डबरा SDM के पद पर हुई थी। जिसके बाद उनकी पोस्टिंग जिला पंचायत रायसेन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तौर पर हुई थी। वे ट्रेनिंग के बाद केंद्र सरकार के ही पंचायती राज मंत्रालय में भी सेवायें दे चुके हैं।
सतना में नगर निगम आयुक्त के साथ-साथ वे CEO स्मार्ट सिटी का भी दायित्व संभाल चुके हैं। अमनवीर की बैतूल में यह चौथी पदस्थापना है। बैतूल आने के बाद जिला कलेक्टर के कार्यकाल में सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गांव का वह तस्वीर सामने आई है जहां पहुंच पाना असंभव था। पैदल गांव तक नदी नालो एवं कीचड़ से सने पांवो के संग पांव-पांव, गांव- गांव तक पहुंच कर ग्रामिणो की समस्याओ को सुनने का प्रयास किया। जिला कलेक्टर कार्यालय तक पहुंच रही जन सुनवाई की भीड़ में जब कलेक्टर नहीं होते तक आवेदन की संख्या कम हो जाती है लेकिन जब कलेक्टर मौजूद रहते है तब आवेदनो की संख्या में बड़ा इजाफा हो जाता है।
आजादी के 75 साल बाद ऊफनती नदी में गांव वालो को गर्भवति महिला को खाट पर रख कर नदी पार करते देख जिला कलेक्टर ने बतौर सौगात उस गांव की नदी पर पुल बनवाने की जवाबदारी ली। लेकिन हर गांव की तकदीर जामुनढाना जैसी नहीं है कि उन्हे दर्द पर दवा मिल जाये।
बैतूल से रामकिशोर पंवार
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