SHIVLING AND SCIENCE:जानिए शिवलिंग से जुड़ा विज्ञान, यह कोई साधारण मूर्ती नहीं

SHIVLING AND FAMILY :- शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है तथा अन्य मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का निचला नाली नुमा भाग माता पार्वती को समर्पित तथा प्रतीक के रूप में पूजनीय है।

SHIVLING AND SCIENCE FACT :- सनातन धर्म विज्ञान का हमेशा समर्थन करता रहा हैं,जो भी घटना या पूजा पाठ से जुडी प्रक्रिया हैं उसमे कही न कही कोई विज्ञान से जुड़ा तत्व होता जरूर हैं। प्रत्येक धारणा रूढ़िवाद नहीं होती हैं। इसी क्रम में आइये हम आपको इस पोस्ट में शिवलिंग से जुड़े विज्ञानं के बारे में बताते हैं।

MEANING OF SHIVLING

MEANING OF SHIVLING : शिवलिंग का अर्थ

शास्त्रों के अनुसार ‘लिंगम’ शब्द ‘लिया’ और ‘गम्य‘ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ ‘शुरुआत’ व ‘अंत‘ होता है। सनातन धर्म के ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया गया है कि शिव जी से ही ब्रह्मांड का प्राकट्य हुआ है और एक दिन सब उन्हीं में समा जाने वाला हैं।

TRIDEV IN SHIVLING : शिवलिंग में विराजते हैं तीनों देवता

हम शिवलिंग की पूजा शिव जी के प्रतीक के रूप में ही करते हैं परंतु हम आपको बता दे ऐसा नहीं हैं। इसमें तीनों देवताओं का वास है। शिवलिंग को तीन भागों में बांटा जा सकता है। सबसे निचला हिस्सा, दूसरा बीच का हिस्सा और तीसरा सबसे ऊपर जिसकी पूजा की जाती है। निचले भाग में ब्रह्मा जी ( सृष्टि के रचयिता ), बिच वाले भाग में विष्णु ( सृष्टि के पालनहार ) और ऊपरी भाग में भगवान शिव ( सृष्टि के विना शक ) का निवास होता हैं।

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हम कह सकते हैं कि शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है। अन्य मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का निचला हिस्सा स्त्री और ऊपरी हिस्सा पुरुष का प्रतीक होता है। इसमें शिव-शक्ति, (SHIVLING AND SCIENCE) एक साथ वास करते हैं।

IMPORTANCE OF OVAL STRUCTURE OF SHILVING : शिवलिंग के अंडाकार संरचना का महत्व

IMPORTANCE OF OVAL STRUCTURE OF SHILVING

शिवलिंग के अंडाकार आकर के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, (SHIVLING AND SCIENCE) दोनों कारण है।

  • अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिव ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं। अर्थात शिव ही वो बीज हैं, जिससे पूरा संसार उपजा है। इसलिए कहा जाता है यही कारण है कि शिवलिंग का आकार अंडे जैसा है।
  • और अगर वैज्ञानिक दृष्टि से बात करें तो ‘बिग बैंग थ्योरी’ कहती है कि ब्रह्मांड का निर्माण अंडे जैसे छोटे कण से हुआ है। शिवलिंग के आकार को इसी अंडे के साथ जोड़कर देखा जाता है।

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