SHAHDOL NEWS : जानिए क्यु PM मोदी पकरिया गाँव जा रहे है क्या है कारण ?

SHAHDOL NEWS PM VISIT :- पकरिया गाँव अद्भुत एवं अविस्मरणीय है। गाँव में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ मुस्कान बिखेरता हुआ सात रंग के इंद्रधनुष की तरह गतिमान है। पकरिया सघन वन से आच्छादित एक ऐसा गाँव है, जहाँ साल, सागौन, महुआ, कनेर, आम, पीपल, बेल, कटहल, बाँस और अन्य पेड़ों से प्रवाहित हवाएँ उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हैं। उनकी उपत्यकाओं में कल-कल निनाद से आनंदित सोन नदी की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ हैं।

पकरिया की जनजातियों का भोजन

पकरिया गाँव के जनजाति समुदाय के भोजन में कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, साँवा, मक्का, चना, पिसी, चावल आदि अनाज शामिल है। महुए का उपयोग खाद्य और मदिरा के लिये किया जाता है। आजीविका के लिये प्रमुख वनोपज के रूप में भी इसका संग्रहण सभी जनजातियाँ करती हैं। बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों के लोगों को वनौषधियों का परंपरागत रूप से विशेष ज्ञान है। बैगा कुछ वर्ष पूर्व तक बेवर खेती करते रहे हैं।

पूजन-अर्चन शैली | SHAHDOL NEWS

इस गाँव के जनजाति समूह में हरहेलबाब या बाबदेव, मइड़ा कसूमर, भीलटदेव, खालूनदेव, सावनमाता, दशामाता, सातमाता, गोंड जनजाति में महादेव, पड़ापेन या बड़ादेव, लिंगोपेन, ठाकुरदेव, चंडीमाई, खैरमाई, बैगा जनजाति में बूढ़ादेव, बाघदेव, भारिया दूल्हादेव, नारायणदेव, भीमसेन और सहरिया जनजाति में तेजाजी महाराज, रामदेवरा आदि की पूजा पारंपरिक रूप से प्रचलित है।

नृत्य और संगीत जीवन-शैली का अभिन्न अंग

नृत्य और संगीत मनुष्य की सबसे कोमल अनुभूतियों की कलात्मक प्रस्तुति है। जनजातियों के देवार्चन के रूप में आस्था की परम अभिव्यक्ति की प्रतीक भी। नृत्य-संगीत, जनजातीय जीवन-शैली का अभिन्न अंग है। यह दिन भर के श्रम की थकान को आनंद में संतरित करने का उनका एक नियमित विधान भी है।

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