RIDDHI AND SIDDHI MIRACLES: जानते है ? गणेश जी के साथ-साथ उनकी पत्निया भी दरिद्रता और अशांति का नाश करती हैं।
RIDDHI AND SIDDHI MIRACLES :- भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गणपति की स्थापना करके गणेशोत्सव मनाया जाता है। आओ जानते हैं प्रथम पूज्य देव गणेशजी की पत्नियों के बारे में संक्षिप्त में।
गणेशजी की पत्नियां
गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के 2 पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही ‘शुभ-लाभ’ कहा जाता है। संतोषी माता को गणेशजी की पुत्री कहा गया है। गणेशजी के पोते आमोद और प्रमोद हैं। शास्त्रों में तुष्टि और पुष्टि को गणेशजी की बहुएं कहा गया है।
Ganesh Ji marriage
पौराणिक कथाओं में जिस तरह शिव-पार्वती विवाह, विष्णु-लक्ष्मी विवाह, राम-सीता विवाह और रुक्मणी-कृष्ण विवाह जितने प्रसिद्ध और चर्चित है उसी तरह गणेश विवाह की चर्चा भी सभी पुराणों में रोचक तरीके से मिलती है। कहते हैं कि तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने से तुलसी के श्राप के कारण गणेशजी को रिद्धि और सिद्धि से विवाह करना पड़ा था। गणेशजी ने भी तुलसी को श्राप दे दिया था कि जा तेरा विवाह किसी असुर से होगा। तब तुलसी वृंदा के रूप में जन्मी और उनका विवाह जलंधर से हुआ।
RIDDHI AND SIDDHI MIRACLES IN REAL LIFE
यह भी कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने रिद्धि एवं सिद्धि को शिक्षा हेतु गणेशजी के पास भेजा था। गणेशजी के समक्ष जब भी कोई विवाह का प्रस्ताव आता तो रिद्धि एवं सिद्धि दोनों की गणेशजी और उनके मूषक का ध्यान भटका देती थीं क्योंकि वे दोनों ही उनके साथ विवाह करना चहती थी।
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एक दिन गणेशजी सोच में पड़ गए कि सभी के विवाह हो गए मेरे विवाह में ही विघ्न क्यों? फिर जब उन्हें रिद्धि एवं सिद्धि की हरकत का पता चला तो वे उन्हें श्राप देने लगे तभी वहां पर ब्रह्मा आ पहुंचे और उन्होंने गणेशजी को ऐसा करने से रोका और रिद्धि एवं सिद्धि से विवाह करने की सलाह दी। तब गणेशजी मान गए। फिर गणेशजी का विवाह धूमधाम से हुआ।
RIDDHI AND SIDDHI
श्रीगणेश के साथ-साथ उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि एवं उनके पुत्र शुभ-लाभ (लाभ व क्षेम) का पूजन भी किया जाता है। ऋद्धि (बुद्धि- विवेक की देवी) और सिद्धि (सफलता की देवी) हैं। स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं।
रिद्धि और सिद्धि की निम्न मंत्र से उपासना करने से दरिद्रता और अशांति का नाश हो जाता है। घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
- गणेश मंत्र- ॐ गं गणपतये नम:।
- ऋद्धि मंत्र- ॐ हेमवर्णायै ऋद्धये नम:
- सिद्धि मंत्र- ॐ सर्वज्ञानभूषितायै नम:
- शुभ मंत्र- ॐ पूर्णाय पूर्णमदाय शुभाय नम:
- लाभ मंत्र- ॐ सौभाग्य प्रदाय धन-धान्ययुक्ताय लाभाय नम:
सिद्धि का अर्थ | MEANING OF SIDDHI
सिद्धि शब्द का सामान्य अर्थ है सफलता। सिद्धि अर्थात किसी कार्य विशेष में पारंगत होना। समान्यतया सिद्धि शब्द का अर्थ चमत्कार या रहस्य समझा जाता है, लेकिन योगानुसार सिद्धि का अर्थ इंद्रियों की पुष्टता और व्यापकता होती है। अर्थात, देखने, सुनने और समझने की क्षमता का विकास। सिद्धियां दो प्रकार की होती हैं, एक परा और दूसरी अपरा। विषय संबंधी सब प्रकार की उत्तम, मध्यम और अधम सिद्धियां ‘अपरा सिद्धि’ कहलाती है। यह मुमुक्षुओं के लिए है। इसके अलावा जो स्व-स्वरूप के अनुभव की उपयोगी सिद्धियां हैं वे योगिराज के लिए उपादेय ‘परा सिद्धियां’ हैं। ✒ संजय शुक्ला जी
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