RAMAYAN SECRETS: क्या आप जानते हैं रामायण से जुड़े 10 रहस्यों के बारे में ?
RAMAYAN SECRETS UNKNOWN :- राम और रामायण एक ऐसा विषय है जिससे जनता के साथ – साथ दुनिया के सभी बुद्धि जीवी नाता रखते ही हैं। यह एक अद्भुत ग्रन्थ के साथ एक उत्तम जीवन जीने की कला भी सिखाता हैं। रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं, लेकिन कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं (RAMAYAN SECRETS) जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं जो इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं, तो हम इस पोस्ट में जानते हैं वे कौन सी दस बातें है जो रहस्य बनी हुई हैं।
“अपनी अपनी अंतर्दृष्टि से देख रहे, प्रभु को नर नारी।”
“भावना जैसी रही जिनके मन, प्रभू मूरत तिन तैसी निहारी।”
-: जय श्री राम:-
रामजी के जन्म के पहले रचना हो चुकी
रामायण राम के जन्म से कई साल पहले लिखी जा चुकी थी। रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं।
जन्म के समय ऐसी थी गृह दशा
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है
रामजी को बहुत ही कम उम्र में वनवास
जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्रीराम से यह भी कह दिया कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ।
100 योजन का पल तैयार हुआ था
रामायण के अनुसार समुद्र पर पुल बनाने में पांच दिन का समय लगा। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। (एक योजन लगभग 13-16 किमी होता है)।
शूर्पणखा ने रावण को दिया था श्राप : RAMAYAN SECRETS
सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने सीता का हरण किया था, लेकिन स्वयं शूर्पणखा ने भी रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था। क्योंकि रावण की बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध रावण ने कर दिया था।
शनिदेव ने ली थी परीक्षा : RAMAYAN SECRETS
जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी, और वे एक सिरे से दूसरे सिरे तक जा रहे थे, तो उनकी नजर शनी देव पर पड़ गयी। वे एक कोठरी में बंधे पड़े थे, हनुमान जी ने उन्हें बंधन मुक्त किया और मुक्त होने पर उन्होंने हनुमान जी के बल बुद्धी की भी परिक्षा ली और जब उन्हें यकीन हो गया कि वव सचमुच में भगवान रामचंद्र जी के दूत हनुमान जी हैं तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि “इस पृश्वी पर जो भी आपका भक्त होगा उसे मैं अपनी कुदृष्टि से दूर ही रखूंगा, उसे कभी कोइ कष्ट नहीं दूंगा। “
माता सीता का प्रतिबिंब : RAMAYAN SECRETS
जब खर दूषण मारे गए, तो एक दिन भगवान राम चन्द्र जी ने सीता जी से कहा, “प्रिये अब मैं अपनी लीला शुरू करने जा रहा हूँ। खर दूषण मारे गए, सूर्पनखां जब यह समाचार लेकर लंका जाएगी तो रावण आमने सामने की लड़ाई तो नहीं करेगा बल्की कोई न कोई चाल खेलेगा और मुझे अब दुष्टों को मारने के लिए लीला करनी है। जब तक मैं पूरे राक्षसों को इस धरती से नहीं मिटा देता तब तक तुम अग्नि की सुरक्षा में रहो।”
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भगवान् रामचंद्र जी ने उसी समय अग्नि प्रज्वलित की और सीता जी भगवान जी की आज्ञा लेकर अग्नि में प्रवेश कर गयी। सीता माता जी के स्थान पर ब्रह्मा जी ने सीता जी के प्रतिबिम्ब को ही सीता जी बनाकर उनके स्थान पर बिठा दिया।
अग्नि परीक्षा का सच : RAMAYAN SECRETS
रावण जिन सीतामाता का हरण कर ले गया था वे सीता माता का प्रतिबिम्ब थीं, और लौटने पर श्री राम ने यह पुष्टि करने के लिए कि कहीं रावण द्वारा उस प्रतिबिम्ब को बदल तो नहीं दिया गया, सीतामाता से अग्नि में प्रवेश करने को कहा जो कि अग्नि के घेरे में पहले से सुरक्षित ध्यान मुद्रा में थीं, अपने प्रतिबिम्ब का संयोग पाकर वे ध्यान से बाहर आईं और राम से मिलीं।
आधुनिक काल वाले वानर नहीं थे हनुमान जी
कहा जाता है कि कपि नामक एक वानर जाति थी। हनुमानजी उसी जाति के ब्राह्मण थे।शोधकर्ताओं के अनुसार भारतवर्ष में आज से 9 से 10 लाख वर्ष पूर्व बंदरों की एक ऐसी विलक्षण जाति में विद्यमान थी, जो आज से लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व विलुप्त होने लगी थी और रामायण काल के बाद लगभग विलुप्त ही हो गई। इस वानर जाति का नाम कपि
था।
पहले कथा वाचक रामजी के पुत्र ही थे
विश्व में रामायण का वाचन करने वाले पहले वाचक कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश थे। जिन्होंने रामकथा स्वयं अपने पिता श्री राम के आगे गायी थी |
पहली रामकथा पूरी करने के बाद लव कुश ने कहा भी था हे “पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कहि श्रीराम के आगे”।
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