Purna Mela: MP में दुध पीते बच्चों को छोड़ दिया जाता है पूर्णा नदी में

Purna Mela in Betul MP: मध्य प्रदेश के बैतूल में सालों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है. यहां माता-पिता खुद अपने नवजात बच्चों को पलाने में डालकर नदी में छोड़ देते हैं. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि जिन दंपति की संतान नहीं होती, ऐसा करने से उनकी मन्नत पूरी हो जाती है. मन्नत पूरी होने पर कार्तिक पूर्णिमा के बाद दंपति अपने नवजात बच्चों को लाते हैं और पूजा करने के बाद पालने में डालकर नदी में तैराते हैं.

चंद्रपुत्री पूर्णा नदी Purna Mela पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल मेला लगता है. कार्तिक पूर्णिमा के बाद तीन दिन तक यहां पर नवजात बच्चों को पालना में डालकर नदी में छोड़ा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के बाद दंपति अपने नवजात बच्चों को लाते हैं और पूजा करने के बाद पालने में डालकर नदी में तैराते हैं. चंद्रपुत्री पूर्णा नदी पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल मेला लगता है. जानकारों का कहना है कि नदी का पानी काफी प्रदूषित है, इससे बच्चों को निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

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ऐसा माना जाता है कि राजा के पास अठासी हजार ऋषि मुनि आए थे और उन्होंने ने राजा से दूध के साथ आहार का दान मांगा था. इसके बाद राजा ने भगवान शंकर की तपस्या की थी. उन्हें भगवान ने वरदान में गाय के रूप में पूर्णा Purna Mela दी थी और वे भैसदेही के काशी तालाब में छिप गई थी.  

नदी का पानी काफी गंदा है. इसे पीने से बच्चों को गंभीर बीमारी हो सकती है. इससे बच्चों को निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.बच्चों का पालना भी नदी में डूब सकता है, जिससे नवजात बच्चों की जान पर बन सकती है. आस्था के सामने इसका ध्यान नहीं रखा जाता है.

Note: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं।

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