Pola 2023 : देखें इस बार पोला कब है और इसकी पौराणिक कथा

Pola 2023 Date : पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है, इस दिन ही पोला मनाया जाता है। हर साल पोला पर्व अगस्त – सितम्बर महीने में आता है। इस साल पोला का पर्व (Pola 2023) 14 सितंबर 2023 दिन गुरुवार को मनाया जायेगा। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है।

पोला पर्व दो दिन मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला। पहले बड़ा पोला मनाया जाता है जिसमें बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, और दूसरे दिन छोटा पोला जिसमे बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और इनकी पूजा पाठ करवाते है फिर बदले में कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है।

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पोला पर्व इस तरह मनाते है | Pola 2023

पोला पर्व के एक दिन पहले दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है, जिसे खाल मखनी कहा जाता है। इसके बाद दूसरे दिन भादो अमावस्या को पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद उन्हें बहुत अच्छी तरह सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है। जिन गाय या बैलों के सिंग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं। और फिर सभी बैलो को गांव के नियमानुसार किसी एक निश्चित जगह ले जाया जाता है जहां इनकी पूजा की जाती है उसके बाद तोरण तोड़ कर सभी बैलो की थोड़ी बहुत दौड़ करा कर उन्हें घर ले जा कर उनकी पूजा करते है और खाना खिलाया जाता है।

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पोला पर्व मनाने की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है की जब भगवान विष्णु श्री कृष्ण अवतार में धरती पर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था। तो इसके बारे में मामा कंस को पता चला, तो उसने कृष्ण को मारने के लिए बहुत से असुर भेजे थे। इन्हीं असुरों में से एक असुर पोलासुर था जो की बहुत शक्ति शाली और बहुत सी विधाओं से निपुण था, राक्षस पोलासुर को कृष्ण ने अपनी लीलाओं से बड़ी आसानी से वध कर दिया था। श्रीकृष्ण ने भाद्रपद की भादो अमावस्या के दिन पोला सुर का वध किया था इसी कारण इस दिन को पोला कहा जाने लगा है।

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पोला पर्व मनाने का दूसरा तथ्य

हम सभी जानते है की भारत एक कृषिप्रधान देश है जहां खेती से ही आधी से ज्यादा जनसंख्या का पालनपोषण हो रहा है और इस खेती को करने में कही न कही अहम भूमिका बैलो और गायों की ही होती है जो की किसान के साथ साथ पुरे वर्ष भर मेहनत करते है। सभी बैल का इस समय सभी काम करके फ्री हो जाते है इसलिए उनकी इस समय अच्छी तरह मालिश वगैरे करके उनकी पूजा करते है। पोला के दिन स्वादिष्ट पकवान जैसे पूरन पूड़ी, गुजिया, कड़ी भजिये पापड़ आदि बनाए जाते हैं और खुशियाँ बनाई जाती है।

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