Netaji & Election: चुनाव आने वाले है और हम ग्राउंड पर जाने वाले है -नेताजी

Netaji & Election :- भारत का स्वभाग्य कहे या दुर्भाग्य इसकी किस्मत में स्वार्थी लोगो का शासन ही लिखा है ऐसा मालूम पड़ता है। कितने की राजा, महाराजा आये और चले गए लेकिन स्वार्थ की राजनीति किसी ने नहीं छोडी और हमारे आने वाले समय के लोगो को भी यह देखना ही पड़ेगा।

पांच वर्षीय त्यौहार

कुछ पांच वर्षो में एक महात्योहार आता है जिसमे की सारे ऐसे प्राणियों का आगमन होना प्रारम्भ हो जाता है जो की पुछले कुछ सालो तक दिखाई तक नहीं देते थे। यह पर्व चुनाव के रूप में आता है, हमने हमेशा देखा है की जैसे जैसे चुनाव पास आते है नेता लोग काम के प्रति इतने सख्त हो जाते है की किसी को निष्कासित कर देते है किसी का ट्रांसफर कर देते है।अरे इतना जोश आजाता है की धुवा धार रैली, पंचायत लोगो से मिलना मिलाना वायरस जैसे बढ़ जाता है।

ठंडा खून (लचर विचार )

हमारी देश की जनता का खून इतना नर्म और ठंडा है की उनको लगने लगता है की देखो नेताजी कितना काम करते है, इसे लोगो के बिच वायरल करने के लिए भी कुछ लोग लगे वाले होते है, जो की जनता के बिच उनकी यह छवि बनाने में जुटी होती है उन्हें मिलता तो कुछ नहीं लेकिन एक मान समान पाने की इच्छा उनसे यह सब करवाती है।

पंचवर्षीय देश भक्त

उनका भी उपयोग केवल चुनाव होते तक ही रहता है उसके बाद तो कहानी अगले पांच साल के लिए खत्म, us बिच उदहारण भी लेना जरूरी है जैसे की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री आज कल बड़े फॉर्म में चल रहे है आये दिन उनकी खबर टी वि (TV ) पर आते रहती है। मामा ने फलाने जिले के अधिकारों को किया ससपेंड फलाने को दिया ट्रांसफर, और न जाने कितनो को घर का दिखाया रास्ता। अब सवाल आता है की अब तक मामा किधर थे, अचानक से जनता (Netaji & Election)के हितेसी कैसे हों गए कुछ तो गड़बड़ है। कही ऐसा तो नहीं अब आने वाला है चुनाव तो नेता जी आने लगे गाँव – गाँव।

जमता जनार्दन

कुछ भी हो लेकिन जनता तो तभी याद आती है जब चुनाव आते है वरना तो न विकास की जरूरत है और न जनता की चुनाव(Election) आने दो सब को जनता जनार्दर से प्यार हो जाता है और सबके मन का नेता भी जाग जाता है।


आम लोगो में से भी कोई न कोई देश भक्त निकल ही आता है जो उनकी तारीफ करते नहीं थकता।लेकिन उनको भी यह नहीं पता होता की उनका भी केवल उपयोग ही किया जा रहा है, आखिर कब तक हमारे देश की राजनीति में इस तरह का व्यवहार चलता रहने वाला है। एक समय तो होना चाहिए की इस प्रकार की राजनीति का अंत किया जा सकें, यह तो किताब का केवल एक भाग है, हर पन्ने पर एक नई कहानी एक नई इबारत लिखी होती है।

आज की राजनीति

भोली भली जनता है या नेता उनको भोली समझ के उनकी ही काटने में लगे है समझ नहीं आता, आज की राजनीति(Netaji & Election) को देख कर लगता है, की एक तरफा इश्क किया जा रहा है यहाँ तक की मीडिया तक एक विशेष व्यक्ति के इर्द गिर्द घूमते ही दिखाई दे रही है, देश के ऐसे मुद्दे भी उस बिच छुट्टी पर चले जाते है जिनसे जनता का रूबरू होना जरूरी है। और यदि मीडिया को कुछ महिमा मंडन करने को नहीं मिलता तो ये लोग आसपास ले पड़ोसी देश तक पहुंच जाते है। लेकिन हिम्मत हो की कोई काम निकल के दिखाए।

चापलूस मीडिया

मैं तो ऐसे न्यूज़ चैंनल का नाम भी जानता हु जो केवल महिमा मंडन के अलावा कोई काम ही नहीं करता, बहुत बार तो लगता है आधे से ज्यादा प्रोजेक्ट ये लोग उनके चुनाव (Election)के प्रचार के लिए ही करते है। ऐसा बताया जाता है जैसे वह व्यक्ति विशेष कोई गलती कर ही नहीं सकता, पूरा का पूरा एक घंटा भी कम पडता दिखाई देता है।

जिस समय ये लोग हमें याद करने आते है तब हमें भी अपनी आँख खोल के देखते रहना चाहिए।

विकास बर्डे (बैतूल MP460001 ) 
9424460185  
[email protected] 
(ब्लॉग विशेष अनुबंध पर लिया गया है )

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