Maa Durga Murti : देखें क्यों वेश्यालय के मिट्टी के बनती है मां दुर्गा की मूर्ति

Maa Durga Murti : कुछ ही दिनों बाद नवरात्री के दिन शुरू होने वाले है जिसमे माँ दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इस साल नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होने वाली है जिसकी समाप्ति दशहरे के दिन होती है जो 24 अक्टूबर 2023 को होंगी। नवरात्री में पूजा शुरू होने के कई महीने पहले से ही माता की मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। पुरे भारत देश में कई पूजा पंडाल बनाए जाते हैं और यहां मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है लेकिन क्या आप जानते है की मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति के निर्माण के लिए वेश्याओं की आंगन की मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जाता है। अगर मां दुर्गा की मूर्ति बनाते समय वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया गया हो तो, ऐसे में मूर्ति पूर्ण नहीं मानी जाती है।

पौराणिक मान्यता है कि मां दुर्गा की मूर्ति को पूर्ण रूप से तैयार करने के लिए वैसे तो बहुत सी सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है लेकिन चार चीजों को बहुत जरूरी माना गया है जिसमे माँ गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी शामिल होती है। मूर्ति बनाने में इन सामग्रियों के इस्तेमाल करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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वेश्यालय के मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाने की पौराणिक कथा | Maa Durga Murti

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के लिए जा रही थीं। तभी उन्होंने घाट पर एक कुष्ठ रोगी को बैठे हुए देखा। वह रोगी लोगों से गंगा स्नान करवाने के लिए कह रहा था लेकिन आते जाते लोगों में किसी ने भी उसकी गुहार नहीं सुनी इसके बाद वेश्याओं ने उस रोगी को गंगा स्नान करवाया। वह कुष्ठ रोगी और कोई नहीं बल्कि भगवान शिव थे। शिवजी वेश्याओं से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब वेश्याओं ने कहा कि, हमारे आंगन की मिट्टी के बिना माँ दुर्गा की मूर्ति / प्रतिमा ना बन पाए। शिवजी ने वेश्याओं को यही वरदान दिया और तब से लेकर अब तक यह परंपरा चली आ रही है।

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एक अन्य मान्यता यह भी है कि, जब कोई व्यक्ति वेश्यालय जाता है तब वह अपने पुण्य कर्म और पवित्रता को वैश्या के द्वार पर ही छोड़कर अंदर जाता है जिससे उस आँगन की मिटटी पवित्र हो जाती है इसलिए उनके आंगन की पवित्र मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती थी। धीरे धीरे यह चलन में आ गया और आज भी माँ दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगने की मिट्टी लाई जाती है।

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