Ramadevji Janmotsav : 16 को अंबाड़ा(पंखा) में लोकदेवता बाबा रामदेवजी का जन्मोत्सव

Lokdevata Baba Ramadevji Janmotsav : प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 16 सितम्बर 2023 रविवार के दिन की शाम को कलयुग के अवतार लोकदेवता बाबा रामदेव जी महाराज का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। अम्बाड़ा ग्राम के शिक्षक श्री आर डी सूर्यवंशी के अनुसार इस जन्मोत्सव में बाबा की ज्योतदर्शन और महाआरती, जागरण और भोजन प्रसादी होती हैं। लोकदेवता बाबा रामदेव जी कलयुग के अवतारी हैं। सन 1461 में अवतरित देव राजस्थान-गुजरात के लोकदेवता हैं। लोकदेवता बाबा रामदेव जी के इस जन्मोत्सव में बच्चे, युवाओ, बुज़ुर्ग, सभी लोगो का उत्साह सहयोग देखने लायक होता हैं।

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बाबा रामदेवजी का जन्म | Lokdevata Baba Ramadevji Janmotsav

रामदेवजी का जन्म बाड़मेर के शिव तहसील के ऊंडूकासमेर गाव में भाद्रपद शुक्ल दूज (द्वितीया) को हुआ था। लोकदेवता बाबा रामदेवजी के पिता का नाम अजमाल जी (तंवर वंशीय) तथा माता का नाम मैणादे था। अजमाल की पत्नी मैणादे के श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से दो पुत्र वीरमदेव और रामदेव पैदा हुए। भगवान द्वारिकाधीश की तपस्या के फलस्वरूप जन्म लेने के कारण लोक-कथाओं में दोनों भाईयों को बलराम और कृष्ण का अवतार माना गया है।ये अर्जुन के वंशज माने जाते है। रामदेवजी ‘ रामसा पीर’, ” रूणीचा रा धणी’, ‘ बाबा रामदेव’, आदि उपनामों से भी जाने जाते है।

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इनका विवाह अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान में) सोढ़ा, दलसिंह की सुपुत्री नेतलदे/ निहालदे के साथ हुआ। रामदेवजी के मेघवाल जाति के भक्त रिखिया कहलाते हैं। हिन्दू रामदेवजी को कृष्ण का अवतार मानकर तथा मुसलमान रामसा पीर के रूप में इनको पूजते है। भाद्रपद शुक्ला द्वितीया ‘ बाबे री बीज (दूज) के नाम से पुकारी जाती है तथा यही तिथि रामदेवजी के अवतार की तिथि के रूप में लोक प्रचलित है।

बाबा रामदेवजी एक कवि भी थे

रामदेवजी के मंदिरों को’ देवरा ‘ कहा जाता है, जिन पर श्वेत या 5 रंगों की ध्वजा, नेजा फहराई जाती है। बाबा रामदेवजी ही एक मात्र ऐसे देवता है, जो एक कवि भी थे। इनकी रचना’ चौबीस वाणियां प्रसिद्ध है। बाबा रामदेवजी के चमत्कारों को पर्चा कहा जाता है। पर्चा शब्द ‘ परिचय’ शब्द से बना है। परिचय से तात्पर्य है अपने अवतारी होने का परिचय देना। रामदेवजी का वाहन लीला घोड़ा था। बाबा रामदेवजी के भक्त इन्हे कपड़े का बना घोड़ा चढ़ाते है।

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