LARGEST EMPLOYMENT SECTOR: क्या आप जानते हैं कि भारत में रोजगार के गारंटेड बड़े क्षेत्र कौनसे हैं ? यहां बताए गए हैं सेक्टर।

LARGEST EMPLOYMENT SECTOR IN INDIA:- लघु, कुटीर व घरेलू(छोटे यवन मंझले) उद्योग कृषि के बाद दूसरा बढा रोजगार का क्षेत्र है। लघु कुटीर एवं घरेलू उद्योग इन पर विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों चाइनीज कंपनियों की मार पड़ने के कारण से यह आगे नहीं बड़ पा रहे हैं। लक्ष्य रोजगार हो ही गया तो हमें वैसे उपायों पर भी विचार करना चाहिए।

Employment sector in India

इनमें सबसे प्रमुख उद्योग घरेलू व अन्य सामान्य वस्तुओं में शून्य तकनीक वाले FMCG (FAST-MOVING CONSUMER GOODS) क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बहुराष्ट्रीय कंपनिया या चाइनीज कंपनियों को नही रहने देना चाहिए।

भारत की बड़ी कंपनियों को भी बाहर रखे

यहां तक कि भारत की भी बड़ी कंपनियों से इस क्षेत्र को मुक्त रखना चाहिए। हमे सारे देश में “केवल स्थानीय व स्वदेशी” यह अभियान चलाना चाहिए। ताकि देश के लोग सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में, घर परिवार की वस्तुओं में केवल स्वदेशी और वह भी लघु एवं कुटीर उद्योगों की बनी हुई वस्तुओं को खरीदें, प्रयोग करें।

लघु, कुटीर उद्योगों के लिए पुनः आरक्षण हों

आज से कुछ वर्ष पहले तक देश में 1430 वस्तुए ऐसी थी जो कि लघु व कुटीर उद्योगों (MSME SECTOR) के लिए सुरक्षित थी किंतु धीरे-धीरे करके बहुराष्ट्रीय, विदेशी व बड़ी कंपनियों के दबाव में विभिन्न सरकारों द्वारा सूची खत्म कर दी गई और इसके कारण से गांवों, छोटे-कस्बों में घरेलू उत्पाद बनाने बाली इकाइयां बंद होती गई।

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परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ती चली गई। केवल इंटरनेशन व राष्ट्रीय बाहरी कंपनिया ही नहीं बल्कि भारत के बड़े उद्योग समूहों को रिटेल के क्षेत्र में काम करने की खुली छूट दे दी गई।

उदाहरण के तौर पर | LARGEST EMPLOYMENT SECTOR

  • रिटेल की दुकान भी अब रिलायंस चलाता है,
  • नमक टाटा बनाता है,
  • तेल ऐसे ही कोई बड़ी कंपनी बनाती है।
  • इसी तरीके से हमारे साबुन, तेल, शीतल पेय आदि उद्योगों पर यूनिलीवर, लक्स, पेप्सी कोकाकोला जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनिया का करता है।

बनी बात है कि है कि उनका मुकाबला छोटे व कुटीर उद्योग, दुकानदार नहीं कर पाते। जिससे वे शीघ्र ही बंद हो जाते हैं और रोजगार के अवसर और कम हो जाते है।

जरुरी उद्योग का आरक्षण कर दे | IMPORTANT LARGEST EMPLOYMENT SECTOR

अतः इन 1430 वस्तुओं को या नई सूची तय करके लघु एवं कुटीर उद्योग के लिए आरक्षित कर देना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय कंपनियों अंतर्राष्ट्रीय मानक अथवा विदेशी निवेश होगा, इससे घबराने की आवश्यकता नहीं।

अमरीका जैसे देश भी करते है अपने लघु उद्योगों व रोजगार का संरक्षण

एक उदाहरण देखें, अमेरिका के अंदर जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने, वह अमेरिका के युवकों को दिये इसी आश्वासन पर ही बनें कि वह उनके लिए रोजगार जुटाएंगे। मेक्सिको के सामने दीवार खड़ी करेंगे। क्योंकि मेक्सिको से बड़ी मात्रा में बेरोजगार लोग अमरीका में आकर स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसर कम कर देते हैं। इसी तरह ट्रंप ने कहा कि चीन की करेंसी षड्यंत्र, (मेनिपुलेशन) को रोकेंगे और चीन से होने वाले 350 बिलियन डालर के वार्षिक घाटे को तेजी से कम करेंगे।

भारत के वीजा पर रोग लगाने की बात भी कही

यहां तक कि ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत के H1B वीजा पर रोक लगाएंगे। ट्रम्प के शासनकाल में अमरीका इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा भी रहा था। अभी भी वहां की नई सरकार भी रोजगार के विषय में उसी नक्शे कदम पर है।

BUY AMERICAN ACT बना हुआ हैं | IMPORTANT ACT FOR AN LARGEST EMPLOYMENT SECTOR

फिर अमेरिका में 1933 से ही बाय अमेरिकन एक्ट बना हुआ है, जिसके अंतर्गत अमेरिकी कंपनियों को एक निश्चित मात्रा में अमेरिका में बनी वस्तुएं ही खरीदनी होती हैं। अमेरिका अपने अर्थ एवं रोजगार के संरक्षण के लिए अपने कानून ही नहीं बनाता बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाध्यता पैदा करता है। अमेरिका ने 2016 में अपने ही द्वारा प्रारंभ टीपीपी (ट्रांस पेसेफिक पेक्ट) की संधि, जिसमें विश्व की 42% GDP आती थी, निरस्त कर दी।

सरकारों और दलों का एक ही लक्ष्य है, रोज़गार देना

  • अमेरिका के लोगों को रोजगार देना, अमेरिका की समृद्धि।
  • अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी, एजेंसियां, बहुराष्ट्रीय कंपनियां क्या कहती हैं, इसकी वे परवाह नहीं करते।
  • यदि वे अपने देश में ऐसा कर सकते हैं तो भारत को क्यों नहीं करना चाहिए।

यदि दैनिक जीवन की वस्तुओं की सूची को फिर से आरक्षित कर देने से भारत में लघु एवं कुटीर उद्योग बढ़ता हो और उससे लाखों रोजगार फिर से बढ़ते हो, तो हमें अवश्य ही इस विषय पर न केवल विचार करना चाहिए बल्कि इसके लिए व्यापक जनसमर्थन भी जुटाना चाहिए।

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