KHATU SHYAM STORY: जानिए क्यों बर्बरीक को खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है?
BABA KHATU SHYAM KI HISTRORY : - आज बर्बरीक जी को खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है। जहां भगवान कृष्ण ने उनका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है। श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है।
KHATU SHYAM STORY HINDI :- बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर में से एक थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से श्रीकृष्ण चिंतित हो गए।
अपने एक तीर का कमाल दिखाया : KHATU SHYAM STORY
भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।
श्री कृष्ण के पैरों में जाकर रुका तीर
जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा। श्रीकृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर श्रीकृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया।
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तब बर्बरीक ने कहा :- प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।
इस वजह से श्री कृष्ण चिंतित हो गए
बर्बरीक के इस चमत्कार (KHATU SHYAM STORY) को देखकर श्रीकृष्ण चिंतित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा। यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा।
भेस बदलकर भिक्षा मांगी : KHATU SHYAM STORY
तब भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के द्वार पर पहुंच गए और दान मांगने लगे।
बर्बरीक ने कहा- मांगो ब्राह्मण! क्या चाहिए ?
ब्राह्मणरूपी कृष्ण ने कहा :- तुम दे न सकोगे। लेकिन बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गए और श्रीकृष्ण ने उससे उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया।
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KHATU SHYAM STORY IN HINDI
आज बर्बरीक जी को खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है। जहां भगवान कृष्ण ने उनका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर में स्थित है। ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है जिसे 1720 में अभय सिंह जी द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था और इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के तीनों पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है। जबकि बर्बरीक के धड़ की पूजा हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव स्याहड़वा में होती है।
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