GYANVAPI: ज्ञानवापी इतिहास, विवाद और भविष्य।
GYANVAPI HISTORY, CONTROVERSY AND FUTURE :- ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित, पिछले कुछ समय से देश का ध्यान आकर्षित कर रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बनी है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे एक ऐतिहासिक मस्जिद मानते हैं।
ज्ञानवापी: इतिहास और विवाद
- ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित एक मस्जिद है। इसका इतिहास विवादों से भरा हुआ है। इतिहासकारों का मानना है कि 1194 में मुहम्मद गौरी ने काशी में मंदिर को लूटकर तुड़वा दिया था।
- 1447 में जौनपुर के शर्की सुल्तान महमूद शाह ने मंदिर को तुड़वा कर मस्जिद बनवाई। कुछ का मानना है कि 1669 में औरंगजेब के आदेश से मंदिर का आधा हिस्सा तोड़कर जामा मस्जिद बनाई गई थी।
- 1809 में हिन्दू समुदाय ने ज्ञानवापी मस्जिद को उन्हें सौंपने की मांग की। 1936 में दायर एक मुकदमे पर 1937 में फैसला ज्ञानवापी को मस्जिद के तौर पर स्वीकार किया गया।
- 1984 में विश्व हिन्दू परिषद् ने मंदिर बनाने के लिए अभियान चलाया। 1991 में हिन्दू पक्ष ने मस्जिद और परिसर में सर्वेक्षण और उपासना के लिए अदालत में याचिका दायर की।
- 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की वैधता छह माह के लिए बताई।
- 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हुई। 2021 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी। 2022 में सर्वेक्षण का काम पूरा हुआ।
- ज्ञानवापी मामले से जुड़ी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। गुरुवार (25 जनवरी 2023) देर शाम जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।
ASI की रिपोर्ट
25 जनवरी 2023 दिन गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ASI की रिपोर्ट सामने आ गई है. जीपीआर सर्वे पर ASI ने कहा है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI की सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है. बताया गया है कि 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं। ASI की रिपोर्ट कहती है कि हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया।
एक दिवार हिन्दू मंदिर की हैं
ASI के मुताबिक, वर्तमान में जो ढांचा है उसकी पश्चिमी दीवार पहले के बड़े हिंदू मंदिर का हिस्सा है और पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई। रिपोर्ट आने के बाद ही दोनो पक्षों की बयानबाजी शुरु हो गई है।
यह कोई फैसला नहीं हैं
ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने शुक्रवार को कहा कि मस्जिद का ASI सर्वेक्षण सिर्फ एक रिपोर्ट है, कोई फैसला नहीं। C.M YOGI ADITYANATH का भी बयान सामने आ गया है। C.M.YOGI ने कहा कि हमें अपनी परंपरा और गौरव की अनुभूति होनी चाहिए और हम भारतीयों को तो और भी अनुभूति होनी चाहिए। जिसकी प्राचीन संस्कृति और परंपरा हमारी है। इतिहास से भी परे है भारतीय संस्कृति और परंपरा हमें इतिहास के दायरे में कोई कैद नहीं कर सकता. उससे आगे भी जाकर हमारा हजारों करोड़ों सालों का इतिहास है।
ज्ञानवापी का भविष्य | FUTURE OF GYANVAPI
ASI रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद परिसर में कई प्राचीन संरचनाओं के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक “शिवलिंग जैसी संरचना” भी शामिल है। हिंदू पक्ष इस रिपोर्ट को अपने दावों का समर्थन करने के लिए सबूत के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे पक्षपाती और गलत बता रहा है। कुछ राजनीतिक नेताओं ने मस्जिद को मंदिर में बदलने की मांग की है, जबकि कुछ धार्मिक नेताओं ने शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है।ज्ञानवापी विवाद अभी सर्वोच्च न्यायालय में है। अभी यह कहना मुश्किल है कि इस विवाद का क्या परिणाम होगा।
भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है
ज्ञानवापी विवाद भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण का एक ज्वलंत उदाहरण है। यह विवाद न केवल कानूनी और धार्मिक मुद्दों को उठाता है, बल्कि यह भारत में धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह आर्टिकल ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी प्रदान करता है। यह विवाद अभी भी विकसित हो रहा है और इस पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है। इस मामले पर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे और तर्क हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी पक्षों की राय को ध्यान से सुनें और इस मामले पर एक सूचित राय बनायें।
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कार्तिक त्रिवेदी
विधि विद्यार्थी एवं एडिटर इन चीफ NARADZEE.COM