GAY MARRIAGE: नर नारी अनमोल है समलैंगिकता तो झोल है
GAY MARRIAGE UPDATE :- वर्तमान में एक मुद्दा समलैंगिक विवाह बहुत तेजी से चल रहा है। अनेक देशों ने इसे मान्यता भी दे दी है । अब भारत की बारी है क्या भारत इस 21वी सदी में अपने आदर्शों और सिद्धांतों का गला घोटते हुऐ इस समलैंगिक विवाह को मान्यता देगा या फिर अपने आदर्शों पर अडिग रहेगा, देखना हैं कि जीत किसकी होती है क्या एक वकील प्रकृति के विरूद्ध अपने तर्कों से इस अप्राकृतिक विवाह को मान्यता दिला पाएगा या नहीं ?
GAY MARRIAGE कितना सही,कितना गलत ?
हमारे सामने दो सवाल है, समलैंगिक विवाह कितना सही है और कितना गलत। इतिहास गवाह है कि हमने जब-जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है तब तब किसी न किसी रूप में हमें उसका नुकसान भुगतना पड़ा हैं। प्रकृति के नियमों के मुताबिक शादी हमेशा एक स्त्री और पुरुष के बीच होती है। शादी दो विपरीत लिंग के इंसानों के बीच का संबंध है, जिसे समाज द्वारा जोड़ा जाता है और उसे प्रकृति के नियमों के साथ आगे चलाया जाता है।
यह भी पढ़े :- Shri Jagannath Temple:श्री जगन्नाथ भगवान 15 दिनों तक बीमार रहते है, ये है कारण।
समाज में शादी का उदेश्य न केवल आनंद पूर्ति के लिए और ना हि कामवासना की तृप्ति के लिए है, अपितु यह तो मानव श्रृखंला को आगे बढ़ाने का पवित्र माध्यम है अर्थात सृष्टि की संरचना का आधार है। यहीं प्रकृति का नियम हैं जो सदियों से चलता आ रहा है। लेकिन समलैंगिक शादियां मानव श्रृंखला के इस नियम को बाधित करती है। समलैंगिक शादियां अप्राकृतिक हैं। अगर समाज समलैंगिकता को अपना लेता है तो पुरुषों के अन्दर से उनका पुरुषत्व और स्त्रीयों के अंदर से उनका स्त्रीत्व खत्म हो जाएगा ।
संबंध का उद्देश्य अपना अस्तित्व छोड़ना हैं
इस संसार में समस्त जीव संबंध इसीलिए बनाते हैं ताकि वह अपना अस्तित्व इस धरती पर छोड़ सकें ।हमने सभी ने पड़ा है की जब एक पिता के X और माता के X गुणसूत्र (GAY MARRIAGE) मिलता है तब लड़की का जन्म होता है वही पिता के Y और माता के X गुणसूत्र से मिलकर लड़के का जन्म होता है। यह प्रकृति का नियम है जो अधिकांस सभी जीवों पर लागू होता है।
यह भी पढ़े :- VICHITRA MANDIR:रामायण काल का विचित्र मंदिर,जंहा नंदी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ते जा रहा
अगर समलैंगिकता को परमिशन मिल जाती है तो यह शादी नही अपितु मनोरंजन कहलाएगा और इससे वंश वृद्धि नहीं हो सकती और अगर सिर्फ मनोरंजन ही करना है तो संविधान के अनुच्छेद 377 में यह प्रावधान है । आप स्वतंत्र हैं मनोरंजन रुपी संबंध बनाने के लिए लेकिन उसके लिए शादी जैसे पवित्र बंधन कि क्या आवश्यकता है ।
हमारा देश अभी तैयार नहीं : GAY MARRIAGE
देश में चल रहीं समलैंगिक विवाह की चर्चा आज के लिए नही थी ये 20 साल बाद होनी थी अभी भारत इसके लिएं तैयार नहीं है हम थर्ड वर्ड के देश है हमारी जरूरतें और चुनौतियां अलग है और इस मसले को सुप्रीम कोर्ट को सांसद पर ही छोड़ देना चाहिए आपके पास लाखों मामले लंबित है उन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है लेकिन नहीं इन्हें वॉक और लिब्रेरल बनने का कीड़ा काट रहा है।
यह भी पढ़े :- SFB:आपका पैसा SFB में भी उतना ही सुरक्षित हैं,जितना कमर्शियल बैंकों में।
यकीन मानिए समलैंगिकता से समलैंगिक विवाह (GAY MARRIAGE) से व्यभिचार से होता कुछ नही बस सामाज का पौरुष और पुरुषार्थ कम होता है और इससे परिवार जैसे सबसे मजबूत संस्था बर्बाद होती हैं और टूटती है। आज समलैंगिक विवाह की बात हो रही है कल से ये लोग सेना में, शैक्षिण संस्था, सरकारी नौकरियां, सांसद में अपने आरक्षण की मांग करेगें फिर दत्तक ग्रहण, भरण-पोषण, द्विविवाह को वैधानिक करने की मांग करेगें।
नया सामान बेचने का नया बाजार : GAY MARRIAGE
ये पश्चिम द्वारा थोपा गया कम्युनिस्ट माइंडसेट एजेंडा है जिससे भारत के परिवार जैसी संस्था टूटे और समलैंगिक चीजों को बेचने के लिए के लिए एक नया बाजार मिल सकें। चंद्रचूड़ भी उसी पश्चिम यूनीवर्सिटी के विद्यार्थी रहे जहा से ये सब पैदा होता हैं। और ये सब उनकी बातों से और निर्णयों से झलकता है। कॉलेजियम इस देश को बरबाद कर देगा।
✒️ ब्रजेंद्र धाकड़
विधि छात्र एवं राष्ट्रीय वक्ता
इसी प्रकार की जानकारी और समाचार पाना चाहते हैं तो,हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़े व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए “कृपया यहां क्लिक” करे। साथ ही हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट से जुड़ने के लिए हमारी INSTAGRAM ID @NARADZEE पर जाके फॉलो करें और साथ हमारे FACEBOOK PAGE, TWITTER और KOO पर जाकर हमें फॉलो करने के लिए “यहाँ क्लिक करें”।