Eclipse & Earthquake: साल के आखिरी चंद्रग्रहण के बाद आया जोरदार भूकंप, दोनों के बीच क्या है कनेक्शन?

ज्योतिषों की मानें तो चंद्रग्रहण का सीधा संबंध भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से होता है. ग्रहण को ज्योतिष में अशुभ और हानिकारक प्रभाव वाला माना जाता है.

Eclipse & Earthquake in Delhi-NCR: साल के आखिरी चंद्रग्रहण के बाद मंगलवार देर रात भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को खौफजदा कर दिया. भूकंप का केंद्र नेपाल में था, जिसकी तीव्रता 6.3 थी. इस भूकंप का असर पूरे उत्तर भारत पर दिखा. दिल्ली-एनसीआर और लखनऊ में भी धरती कांप उठी. घरों में आराम से सो रहे लोगों के बिस्तर और पंखे हिलने लगे और वह उठकर घरों से बाहर निकल आए. लेकिन क्या भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का ग्रहण से कोई कनेक्शन होता है?

ज्योतिषों की मानें तो चंद्रग्रहण का सीधा संबंध भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से होता है. ग्रहण को ज्योतिष में अशुभ और हानिकारक प्रभाव वाला माना जाता है. साल 2018 में 31 जनवरी को चंद्रग्रहण लगने से पहले दिल्ली-एनसीआर, पाकिस्तान और कजाकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप की तीव्रता 6.1 थी. 

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आज भी कुछ ऐसा ही हुआ. चंद्रग्रहण पूर्ण होने के कुछ ही घंटों बाद धरती के कांपने का सिलसिला शुरू हो गया. प्राचीन गणितज्ञ वराह मिहिर की वृहत संहिता के मुताबिक, भूकंप आने के कुछ कारण होते हैं, जिसके हमें संकेत मिलते हैं. इन्हीं में से एक है ग्रहण योग.

कब लगता है ग्रहण

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है तो चंद्रग्रहण लगता है और जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है.जब भी कोई ग्रहण पड़ता है या आने वाला होता है तो उसके 40 दिन पहले या फिर 40 दिन बाद यानी 80 दिन के बीच में भूकंप कभी भी आ सकता है. कई बार यह अवधि और भी कम होती है और 15 दिन पहले या फिर 15 दिन बाद भी भूकंप आ जाता है.  विज्ञान कहता है कि भूकंप टेक्नोटिक प्लेट्स (Eclipse & Earthquake) के आपस में टकराने के कारण आते हैं और फिर उसी से सुनामी का जन्म होता है. जबकि ज्योतिष के मुताबिक टेक्टोनिक प्लेटें ग्रहों के असर से खिसकती व टकराती हैं. भूकंप कितनी तीव्रता का होगा, ये प्लेटों पर ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करेगा.

दिखते हैं ये प्रभाव

ग्रहण के बाद वायुवेग बदल जाता है और पृथ्वी पर आंधी और तूफान का प्रभाव बढ़ जाता है. ज्योतिषों के मुताबिक, ग्रहण के दौरान सूर्य के आगे बढ़ने की दिशा की सीधी रेखा में पृथ्वी और चंद्रमा के आने पर भूगर्भीय हलचलों की आशंका बढ़ जाती है. ज्योतिष में ग्रहण की बहुत अहमियत है. वो इसलिए क्योंकि इसका असर लोगों की जिंदगी पर देखा जाता है. जब चंद्रमा धरती के सबसे नजदीक आता है तो ग्रैविटी का सबसे ज्यादा असर पड़ता है. इसी वजह से पूर्णिमा के दिन समंदर में सबसे ज्यादा ज्वार आते हैं और ग्रहण का प्रभाव और बढ़ जाता है. ग्रैविटी के घटने और बढ़ने की वजह से ही भूकंप आते हैं.  

Note: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. 

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