Dhol Wale Ganesh Ji : ढोल पर सवार श्री गणेश बने शहर में आकर्षण का केंद्र
Dhol Wale Ganesh Ji : गणेश उत्सव की पचास वर्ष से अधिक की परंपरा का निर्वाहन करते हुए नवयुवक नवज्योति गणेश मंडल राजेंद्र (लोहिया)वार्ड के युवा हर वर्ष आकर्षक प्रतिमा स्थापित करते आ रहे हैं। पूर्व में वरिष्ठों द्वारा यहां पर पानठेले की गुमठियों में प्रतिमा स्थापित करने का सिलसिला शुरू किया था जो अनवरत जारी है। इस वर्ष मंडल द्वारा ढोल पर सवार लगभग 13 फीट की चित्तार्षक गणेश प्रतिमा स्थापित की गई है। प्रतिमा की खासियत यह है कि भगवान श्री गणेश के मूषक वाहन खुद ढोल बजा रहे हैं। इस ढोल के ऊपर भगवान श्री गणेश की सात फीट की प्रतिमा स्थापित की गई है।
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समिति द्वारा स्थापित यह प्रतिमा पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र बनी है। प्रतिमा में चार चांद सारणी के कुशल कलाकारों ने लगा दिए है। दरअसल पचास फीट से अधिक के आकर्षक मंदिर की झांकी तैयार की गई है। दूर से देखने पर ऐसा प्रतित हो रहा है, जैसे वास्तव में भगवान लंबोदर की प्रतिमा किसी भव्य मंदिर में स्थापित की गई है। यही वजह है कि पास से जाकर हर श्रद्धालुु आकर्षक प्रतिमा और झांकी को देखने के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।
हर वर्ष स्थापित होती है आकर्षक प्रतिमा | Dhol Wale Ganesh Ji
नवयुवक ज्योति गणेश मंडल द्वारा हर वर्ष भव्य आकर्षक प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इन प्रतिमाओं को निहारने के लिए न सिर्फ बैतूल बल्कि आसपास के दर्जनों गांव के लोग भी दर्शन करने आते हैं। समिति के अध्यक्ष नंदू मामा ने बताया कि शहर में साधरण प्रतिमा स्थापित होते आ रही है, लेकिन मंडल द्वारा हर बार भगवान श्री गणेश के अलग-अलग रूप में प्रतिमाएं स्थापित की जाती है, ताकि श्रद्धालु एक स्थान पर रूककर इसे निहार सके।
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समिति के उपाध्यक्ष हर्ष मालवी, संतोष सोनपुरे, शैलेंद्र चरडे, विनोद राय, जयराम भाऊ आदि ने बताया कि पूर्व में स्थापित प्रतिमाओं को हर बार चल और अचल समारोह में प्रथम पुरस्कार हासिल होते आया है। समिति के संरक्षक पंडित दीपक शर्मा और उपाध्यक्ष दीपू सलूजा ने बताया कि शहर में सबसे चर्चित गणेश मंडल की प्रतिमा को खंजनपुर के कुशल कलाकार ने निर्मित की है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से प्रतिमा के एक बार दर्शन करने का आग्रह किया है।
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