CORPORATE REALITY : क्यों सयुंक्त परिवार से दूरी लोगों को बना रही मानसिक रोगी
CORPORATE REALITY : तेजी से आगे बढ़ने की होड़ ने प्रतिस्पर्धा को इतना तेजी से बढ़ाया है, की आपको अपने लिए भी समय मांग के उपयोग करना पड़ रहा हैं और तो और काम करवाने का तरीका भी वही है। आज के समय में मज़दूरों को जो क़ानून में अधिकार प्राप्त है वह तो कागजो पर मिलते है लेकिन जब आप ग्राउंड लेवल पर जाओंगे तो वह सब नदारद है।
सबसे ज्यादा समस्या तो कारपोरेट इंडस्ट्रीज में है जंहा पर रात होने पर भी काम होते रहते है, एक विकसित देश की परिभाषा क़्या होनी चाहिए की वहां पर सब धनवान और विलाषिता का जीवन जीने वाले लोग रहते हो क़्या यह कर्तव्य नहीं होना चाहिए की उस देश में काम करने वाले और रहने वाले लोग मानसिक रूप से स्वस्थ भी हो।
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आवश्यकता से अधिक समय काम | CORPORATE REALITY
सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए तो 5 दिन काम करने की सुविधा दे दी लेकिन बाकि जगहों जैसे प्राइवेट कम्पनियो और इंडस्ट्रीज में ऐसा नहीं होता। मुझे लगता हैँ आज कॉपीटिशन के ज़माने में हम मानसिक रोगीयों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं।
हमारी जिम्मेदारी बनती हैँ की एक स्वस्थ मानसिकता वाला समाज हमारे बिच उपलबध रहे जैसे आज के समय में देखने और सुनने में आरहा हैँ कोई किसी को मार दे रहा हैं। धार्मिक भावनाओ को भड़काकर आपसी विवाद कर ले रहे हैं, जीवनचर्या के अनुसार देखे तो कही न कही दैनिक जीवन हीं इसके लिए जिम्मेदार हैं।
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परिवार से दुरी भी एक कारण
परिवार से दुरी और सयुंक्त परिवार की कमी का कारण भी हो सकता हैं। मानसिक प्रेसर होने पर मानव शरीर उसका रियक्ट बहुत तेजी से करता हैं जिसमें हम न चाहते हुये भी गलती कर देता हैं और ऐसी गलती करता हैं की उसे उस चीज का पछतावा कुछ देर के बाद होता हैं। परिवार के साथ रहने से एक अंदरूनी ख़ुशी मिलती हैं, जिससे कई बार आपको अधिक प्रेशर होने पर आप कुछ बातें परिवार से शेयर करके मन हल्का कर सकते हैं।
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