Chindwara News : छिंदवाड़ा जनजाति कार्य विभाग ने भ्रष्टचार मामले में किया अव्वल दर्जा प्राप्त

Chindwara News : जुन्नारदेव विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक करोड़ 32 लाख रुपए का गबन कांड सामने आया है इस गबन कांड में जिला कोषालय विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ रही है। सूत्रों की माने तो जिला कोषालय विभाग में बैठकर ही आरोपी अपने बिल 10 से 15 सेकंड के अंदर पास करा लेते थे। यदि कोषालय विभाग के बिल और आईपी एड्रेस की जांच की जाए तो उसमें इस बात का खुलासा हो सकता है।

बताया जाता है कि जुन्नारदेव विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कई बिल बाउचर कार्यालय से नदारद मिले हैं कार्यालय में रहने वाले स्टाफ ने बताया कि उनकी जानकारी के बिना ही बिल सीधे ट्रेजरी विभाग में पहुंचकर पास हो जाते थे जिससे जिला कोषालय विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है जबकि जबलपुर वित्तीय विभाग द्वारा कोषालय को

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क्लीन चिट दे दी गई है। Chindwara News

इतना बड़ा गबन कांड होने के बावजूद कोषालय विभाग में कोई जांच शुरू नहीं हो पाई है जिससे जबलपुर वित्तीय विभाग और जिला कोषालय दोनों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। एक तरफ जहां छिंदवाड़ा, मोहखेड़, तामिया और जुन्नारदेव बीईओ कार्यालय में करोड़ों का गबन उजागर हुआ है वहीं बिल बाउचर और आहरण करने के मामले में ट्रेजरी विभाग को क्लीन चिट मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है शिक्षा विभाग के लोगों पर संबंधित विभाग शिकंजा कस रहा है लेकिन इस मामले में दोषी कोषालय विभाग पर कोई कार्रवाई नहीं होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।

करोड़ो के वित्तीय घोटाले के बाद भी हर्रई विकाश खंड में क्यों नहीं हो रही जांच

खास बात तो यह है की हर्रई विकास खंड शिक्षा अधिकारी ने भी अपने पद पर रहकर बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमित की है इन्होंने तो कई फर्मों से करोड़ो रू की खरीद की है। परंतु खरीदी की गई सामग्री वास्तव में उन लोगो तक नही पहुंची जिन तक पहुंचना था। इनके जादुई खिस्से की अगर बात करे तो मोहदय अमरवाडा मंडल सयोजक रहते हुए कई छात्रवाशो से प्रति माह 5000रू की वसूली करते थे।

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महोदय एक साथ कई अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे है एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में भी महोदय प्रभारी प्राचार्य के पद पर विगत कई वर्षों से टिके हुए हैं। इन्होंने कोरोना काल के सत्र 2020,2021काल में भी अनाप शनाप खरीदी की है। जबकि उस समय छात्रवाश में छात्र तक नहीं थे। खास बात तो यह है की इन्होने ट्रांसफर के नाम पर भी कई शिक्षको से पैसा लिया दुर्भाग्य से एक शिक्षक शंकर लाल माझी ने इन्हे पैसा दीया था.

जानकारी सार्वजनिक तब हुई जब शिक्षक का पैसे देने के बाद भी ट्रास्फर नही हुआ Chindwara News

तब उस शिक्षक ने इस बात की जानकारी भारया जनजाति प्राधिकरण के अध्यक्ष दिनेश कुमार अंगारिय को दी उन्होनें बताया था की बि ई ओ प्रकाश कालम्बे ने शंकर लाल माझी को श्री अंगारिया के नाम का हवाला दीया था। जिसके चलते उन्होंने इसे 50000रू नगद राशि दी थीं । जिसके बाद दिनेश कुमार अंगारिया ने इसकी शिकायत भी जिला कलेक्टर को की थी।

परंतु बि ई ओ के ताना साही रवैए ने शिक्षक को डराया धमकाया और उसका ट्रांसफर कर दिया जिससे मामला शांत हो गया मामले के शांत हुआ ही था की शंकर लाल माझी हॉस्टल के बच्चो के लिए गेहूं का आटा पिसाने जा रहा था जंहा उस पर बड़ी चालाकी से बि ई ओ साहब ने चौरी का आरोप लगा कर निलंबित कर दिया।
ऐसी कार्य प्रणाली के चलते दूसरे शिक्षक इनसे दबे डरे होने के कारण विरोध नही कर पाते हैं।
इनके कारनामे की जानकारी जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त को होने के बाद भी इन पर महोदय कारवाही करने में दिलस्पी नही दिखाते।
यही कारण है की जिले की शिक्षा व्यवस्था संभाल रहे अधिकारी शिवाय भ्रष्टचार के कोई दूसरा कार्य नही कर पाते।

विशाल भौरासे की रिपोर्ट

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