Business News Indore : पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) या प्रायवेट लिमिटेड कंपनी इन सबमें क्या है बेहतर ?
Business News Indore : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए) और इंदौर सीए शाखा द्वारा शुक्रवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण सेमिनार में, व्यापारियों और उद्यमियों को उनके व्यवसाय के लिए उपयुक्त कानूनी ढांचे का चयन करने के बारे में जानकारी दी गई। सेमिनार में, विशेषज्ञों ने पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के बीच प्रमुख अंतरों पर चर्चा की।
स्वागत भाषण देते हुए टीपीए प्रेसिडेंट सीए जे. पी. सराफ ने कहा कि नए बिजनेस का स्वरुप तय करना याने कि व्यापार के लिए पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) या प्रायवेट लिमिटेड कंपनी इन तीनों में से किसका फॉर्मेशन करना है यह बहुत ही गंभीर विषय होता है तथा इस निर्णय के बड़े दूरगामी प्रभाव होते हैंl इस निर्णय प्रक्रिया में किन किन बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है l
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इस हेतु इस इस महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया l Business News Indore
सेमिनार का संचालन कर रहे टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने बताया कि इस निर्णय प्रक्रिया में व्यापार के प्रकार, साइज, कॉम्पिटिटर्स इत्यादि बिंदुओं के साथ-साथ फ्यूचर विजन भी रखना आवश्यक है कि तय किये जाने वाला स्वरुप व्यापार की भविष्य की ग्रोथ के साथ सामंजस्य बैठाने में सफल होगा या नहींl
मुख्य वक्ता सीए मनोज पी गुप्ता ने फर्म, एलएलपी और कंपनी की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए बताया कि किसी भी नया बिज़नेस चालू करने के लिए उसका लीगल स्वरुप तय करना पड़ता है कि इसका स्वरुप पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) या प्रायवेट लिमिटेड कंपनी; इनमें से किस रूप में रहेगाl उन्होंने बताया कि बिजनेस प्रारूप का चयन करते समय आयकर, कंपनी कानून, व्यवसाय की प्रकृति, बिजनेस उत्तराधिकार व हस्तांतरण, विदेशी पूंजी निवेश, तय कानूनी प्रक्रियाओ का पालन, पूँजी पुटाने की सुविधा, स्टार्टअप बेनिफिट्स जैसे सभी बिंदुओं पर विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि पार्टनरशिप में अधिकतम 50 पार्टनर हो सकते है और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अधिकतम 200 शेयरहोल्डर हो सकते है । लेकिन एलएलपी में अधिकतम सदस्य संख्या की कोई सीमा नहीं है ।Business News Indore
सीए गुप्ता ने कहा कि पार्टनरशिप फर्म व कंपनी को एलएलपी में कन्वर्ट किया जा सकता है इस कन्वर्सन से पार्टनरशिप फर्म की सहूलियत व कंपनी प्रारूप में होने वाली सुविधा दोनो का लाभ एलएलपी में लिया जा सकता है। लेकिन कन्वर्शन करने समय आयकर और जीएसटी कानून के पहलुओं को ध्यान में रखना अति आवश्यक होगा।
इसके अतिरिक्त मर्जर और डिमर्जर व शेयर्स के वैल्यूएशन और लिस्टिंग का लाभ केवल कंपनी में मिल सकता है ।
सह वक्ता सीए प्रणय गोयल ने कहा कि समय के परिवर्तन के साथ साथ, व्यापार व्यवसाय के तरीक़े भी वैज्ञानिक एंव नवीन तकनीकों से युक्त होते जा रहे हैं तथा इनका नवीन तकनीकों से युक्त प्रशासन और कर दायित्व का सूक्ष्म अध्ययनआज समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एक बार व्यापार लीगल फॉर्म तय होने के बाद इसको बदलना आसान नहीं होता इसलिए इस सम्बन्ध में बहुत सोच विचारकर निर्णय लेना चाहिए l
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पार्टनरशिप फर्म, एलएलपी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, प्रत्येक अपने फायदे और नुकसान के साथ, व्यवसायों के लिए विभिन्न कानूनी ढांचे प्रदान करते हैं। सही विकल्प व्यवसाय की विशिष्ट आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।
सेमिनार का सञ्चालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कियाl धन्यवाद् अभिभाषण कोषाध्यक्ष एडवोकेट गोविंद गोयल ने दिया l इस अवसर पर सीए अजय सामरिया, सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए अभिषेक गांग, सीए एस एन गोयल, सीए विजय बंसल, सीए मनोज गुप्ता, सीए दीपक माहेश्वरी, सीए अशोक खसगीवाला, सीए सुनील पी जैन, सीए संकेत मेहता, सीए एन पी ऐरन सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।
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