Betul News : अंडर ट्रांसफर पुलिसकर्मियों को एसपी नहीं कर रहे रिलीव, ईसी को शिकायत

Betul News : पुलिस विभाग में तबादलों के बाद भी कर्मचारियों को रिलीव नहीं किया जाता है। इस मामले में प्रशासन की चुनाव संबंधी जिला स्तरीय स्टेंडिंग कमेटी में कांग्रेस के प्रतिनिधि और जिला कांग्रेस प्रवक्ता देवेंद्र मोनू वाघ ने इलेक्शन कमीशन को शिकायत की है। वहीं उन्होंने अपनी शिकायत को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी और उप जिला निर्वाचन अधिकारी को भी एक आवेदन दिया है। इस आवेदन पर जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर बैतूल ने फौरन एक्शन के लिए निर्देश दिए है।

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शिकायत कर्ता देवेंद्र मोनू वाघ ने बताया कि Betul News

उन्होंने 19 मार्च को ईमेल के माध्यम से राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग और राज्य स्तरीय निर्वाचन आयोग को शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों की अवहेलना की जा रही है और चुनावी प्रक्रिया में अपनी भूमिका की भी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि बैतूल जिले के पुलिस बल में 12 और 13 मार्च को तबादला सूची जारी हुई थी। इसके पहले भी 13 फरवरी, 15 फरवरी और 21 फरवरी को भी अलग-अलग पद के पुलिसकर्मियों के जिला स्तर पर तबादले किए गए थे।

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इन तबादला सूची में जिन लोगों के नाम थे उनमें से कुछ लोगों को रिलीव कर दिया गया और कुछ नहीं किया गया।

जबकि 16 मार्च को आचार संहिता लगने के पहले सभी को रिलीव कर दिया जाना चाहिए था, क्योंकि पुलिस विभाग ने इलेक्शन विभाग को प्रमाण पत्र दिया है कि नियम अनुसार तबादले कर सभी को रिलीव किया गया है। वहीं दूसरा उनका आरोप यह है कि चुनाव आयोग के निर्देश पर जिस एफएसटी और एसएसटी दलों का गठन किया गया है, उन दलों में जिन पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है, उनको भी रिलीव करने के मामले में घोर लापरवाही की गई है। उन्होंने बताया कि 16 मार्च को आचार संहिता लगने के साथ ही एफएसटी(उड़नदस्ता) का काम शुरू हो जाता है, लेकिन हालात यह है कि 21 मार्च के 12 बजे तक भी थानों से एफएसटी वाले पुलिसकर्मियों की रवानगी नहीं डाली जाती है।

उनका कहना है कि यह सब गंभीर श्रेणी की धांधली या अनियमित्ता है।

ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ फौरन एक्शन होना चाहिए। उनका कहना है कि जो नियम है उसके अनुसार आचार संहिता के पहले जितने भी तबादले हुए हैं उनमें से एक को भी रिलीव होने से नहीं रोका जा सकता है। नहीं तो यह आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन माना जाएगा और यह माना जाएगा कि संबंधित जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर चुनाव आचार संहिता को चुनौती दे रहा है। उन्होंने कहा कि तीन दिन के अंदर यदि सभी तबादला कर्मचारियों को रिलीव नहीं किया गया और एफएसटी के कर्मचारियों को रिलीव नहीं किया गया तो वे कोर्ट की शरण लेंगे।

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