Betul News : समाज सेवा की मिसाल, 31वें जन्मदिवस पर 31 वृक्ष लगाकर बंटी आरसे ने पेश की अनूठी पहल

Betul News : आधुनिक समाज में जहां जन्मदिवस के उपलक्ष्य में भव्य पार्टियों और महंगे उपहारों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, वहीं बैतूल जिले के युवा समाजसेवी एवं गौ भक्त बंटी आरसे ने अपने 31वें जन्मदिवस को कुछ अलग और अनोखे तरीके से मनाकर एक मिसाल कायम की है। बंटी ने इस अवसर पर भैरव गढ़ की टेकड़ी पर 31 पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

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वृक्षारोपण प्रकृति के प्रति समर्पण Betul News

बंटी आरसे ने इस महत्वपूर्ण दिन पर पीपल, बरगद, काजू, शमी और बेलपत्र जैसे विविध प्रकार के 31 पौधे लगाए। इस पुनीत कार्य में उनके साथ सागरनाथ महाराज, बंडू लिखितकर, हर्षित शिंदे, शुभम ठोके, चेतन यादव, शिवम गोस्वामी, भावेश, विजय बडौदे, संजय डांगे, राजा अंभोरे, हिमांशु लोनारे और अन्य सहयोगी भी शामिल थे। सभी ने मिलकर इस मुहिम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।

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समाज के प्रति जिम्मेदारी और सेवा भाव

बंटी आरसे का मानना है कि हमारी सनातन संस्कृति हमेशा परोपकार करना और अपनी खुशियों को समाज के साथ बाटना सिखाती है ना की पश्चिमी सभ्यता के तरह लेना। उन्होंने अपने इस प्रयास से यह संदेश दिया कि जन्मदिन जैसे खास मौके को मनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम प्रकृति की सेवा करें और भविष्य के लिए एक हरा-भरा वातावरण तैयार करें।

बंटी आरसे का संदेश Betul News

इस अवसर पर बंटी आरसे ने कहा, “हमारी सनातन संस्कृति में सबसे बेहतर है की प्रकृति के लिए सेवा भाव से कार्य कर जन्मदिन मनाना चाहिए ताकि आने वाला भविष्य सुधर सके।” उनका यह संदेश समाज के उन सभी लोगों के लिए है जो अपने जन्मदिवस को यादगार और विशेष बनाना चाहते हैं।

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सहभागियों का उत्साह

इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का उत्साह देखने लायक था। सागरनाथ महाराज ने कहा, “यह पहल हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। बंटी भाई ने जिस तरह से अपने जन्मदिवस को एक सार्थक उद्देश्य से जोड़ा है, वह वास्तव में काबिल-ए-तारीफ है।”

बंटी आरसे की यह पहल न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश भी देती है। उनके इस कदम से प्रेरणा लेकर अन्य लोग भी अपने विशेष दिनों को प्रकृति और समाज की सेवा में व्यतीत करने का संकल्प ले सकते हैं। इस प्रकार, बंटी आरसे ने अपने 31वें जन्मदिवस को यादगार बनाते हुए पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो आने वाले समय में निश्चित ही एक प्रेरणास्रोत के रूप में उभर कर सामने आएगा।

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