BATHROOM VASTU TIPS: जानिए स्नान घर से जुड़े क्या है वास्तु नियम
BATHROOM VASTU TIPS FOR NEW HOME :- घर बनाते समय विज्ञानं और वास्तु का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो गया हैं, इससे आपको मकान के क्षेत्र का सही उपयोग करना संभव हो जाता हैं। वास्तु के अनुशार माकन बनाने से आपको उपयोग करने के लिए ज्यादा जगह मिल जाती है और उचित स्थान पर कमरों का निर्माण भी हो जाता हैं।
तीन प्रकार के होते हैं स्नान घर | BATHROOM VASTU TIPS FOR NEW HOME
स्नान घर मुख्य रूप से तीन प्रकार से घरो में बनवाये जाते हैं, पहला घर के बाहर(घर के पास ), दूसरा शयन कक्ष के साथ में और घर के अंदर सब लोगों के लिए कॉमन स्नान ग्रह इस तरह से बाथरूम का निर्माण किया जा सकता हैं।
- वास्तु विज्ञानं के अनुसार घर के अन्दर कॉमन बाथरूम घर के पूर्व य उत्तरी कमरे में बनाना चाहिए। दो शयनकक्ष यदि सम्मानान्तर हो तो कॉमन बाथरूम दोनों के बिच में बनवाया जा सकता हैं।
- पूर्वाभिमुखी घर में यदि स्नान घर बाहर बनवाना हो तो उसे भूखंड के आग्नेय कोण की खाली जगह पर पूर्व की दीवाल से हटाकर बनवाये।
- दक्षिण मुखी घर में इसी प्रकार वायव्य कोण में भी घर से बाहर स्न्नान घर बनवाया जा सकता हैं।
- घर के बाहर स्नानगृह के आग्नेय कोण में कोयले या लकड़ी से पानी गर्म करने वाला चुला उपयोग में लाया जा सकता हैं।
- घर के अंदर पानी गर्म करने के लिए कोयले या लकड़ी का प्रयोग ना करें।
- बाथरूम में बाथटब लगवाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की उसमे नहाने वाले का सर उत्तर की ओर न रहे, वह दक्षिण, पश्चिम या पूर्व में हो सकता हैं।
- खिड़की या रोशन दान को उत्तर या पूर्व में बनवाये जिससे सूर्य की किरणें सीधे अंदर आ सके जो की स्वास्थ की दृस्टि से भी लाभकारी होती हैं।
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