Bandhua Majaduri:महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में बंधुआ मजदूरी का शिकार हो रहे आदिवासी श्रमिक।

महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में बंधुआ मजदूरी का शिकार हो रहे आदिवासी श्रमिक बंधुआ मजदूरी के शिकंजे से भागकर बैतूल पहुंचे आठनेर, पाढर के पीड़ित मजदूर जयस कार्यकर्ताओं के साथ एसपी कार्यालय पहुंचकर एसपी से की शिकायत, मजदूरी दिलवाने की मांग।

Bandhua Majaduri News:- जिले के आदिवासी क्षेत्र से मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी, बालश्रम के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। परिवार को लालच देकर, बच्चों को बहला फुसलाकर अन्य प्रदेश एवं महानगर ले जाया जाता है। आदिवासी युवा एवं बच्चे ना मेहनतकश काम का विरोध कर पाते हैं ना मेहनताना मांगने का हक जता पाते हैं। ऐसा ही एक मामला शनिवार को सामने आया है। बंधुआ मजदूरी के शिकंजे से छूटकर कुछ मजदूर बैतूल पहुंचे उन्होंने एसपी से शिकायत की है।

संभाग प्रभारी समेत कई कार्यकर्ता पहुंचे

जयस नर्मदापुरम संभाग प्रभारी जामवंत सिंह कुमरे, क्षेत्रीय जयस संगठन के कार्यकर्ता मनेत आहके, अर्जुन धुर्वे शनिवार को आठनेर, पाढर क्षेत्र के पीड़ित मजदूरों के साथ एसपी कार्यालय पहुंचे। जहां मजदूरों ने एसपी से शिकायत कर अमरावती जिले के ग्राम भातकोली में ईटा भट्टा में काम करने के बाद मजदूरी नहीं देने का आरोप लगाया है।

Bandhua Majaduri
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शिकायतकर्ता मजदूर जगर भलावी, सुम्मत भलावी, हेमराज, शिवशंकर सरियाम, माखन, रामरती भलावी, रमती, कान्ता भलावी, राजेश वरकडे ने बताया कि वे स्थानीय एजेंट नान्दु थोराट नांदेड़, गन्नू उइके टेमनी के माध्यम से परिवार सहित काम करने अमरावती जिले चले गए थे। लगभग तीन महीने कार्य करने के बाद ईटा भट्टा के मालिक विशाल नागमोते, भूषन पवार और उसके अन्य साथियों ने मजदूरी देने से मना कर दिया।

जान से मरने की भी धमकी

मालिक के पास मजदूरी लेने पहुचे तो मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने लगे। यह कहने लगे कि सभी मजदूरों को महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश नहीं जाने देंगे। मजदूर किसी तरह शुक्रवार की रात भूखे प्यासे महाराष्ट्र से बैतूल जिला आने में सफल रहे। मजदूरों ने ईटा भट्टा मालिक पर कार्यवाही कर उनकी मजदूरी दिलाने की मांग की है।

मेहनताना नहीं देने के कई केस

मजदूर दलालों (Bandhua Majaduri)की बातों में आते हैं। आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें भोले भाले आदिवासी श्रमिकों को ले जाने और फिर काम के बदले भुगतान नहीं किया जाता है। पुलिस अधीक्षक को आए दिन ऐसी शिकायत मिल रही है। क्षेत्र से हजारों की तादाद में लोग मजदूरी के लिए जाते हैं।

Bandhua Majaduri के लिए पलायन है मुख्य कारण

नजदीकी राज्य के महानगरों की ओर पलायन ज्यादा होता है। वहां काम ज्यादा मिलने से पलायन आम बात है, लेकिन युवाओं, वयस्कों के साथ बच्चे-किशोरियां भी चले जाते हैं। बाद में यह बंधुआ मजदूरी का शिकार हो जाते हैं। मजदूरों (Bandhua Majaduri)के साथ होने वाले अपराधों को लेकर सरकार भले ही सचेत हो, लेकिन अन्य प्रदेशों में उनके साथ अपराध होने पर सुनने वाला कोई नहीं। जिले से पलायन करने वाले मजदूरों के साथ आए दिन अपराध होते हैं।

रोजगार देने के नाम पर थाली पीट रही सरकार

जयस बैतुल से नर्मदापुरम संभाग प्रभारी जामवंत सिंह कुमरे ने आरोप लगाया कि सरकार रोजगार व मजदूरों दिहाडियो के लिये लगातार अनेक योजनाओं के नाम पर रोजगार देने की थाली पीट रही हो, किंतु हकीकत से सब वाकिफ है, इसमें सबसे ज्यादा आदिवासी अंचलों के बेरोजगार युवा और मजदूर वर्ग प्रभावित है,जयस सुप्रीमो डॉ हीरालाल अलावा मनावर विधायक ने विधानसभा में पलायन के मुद्दों को गंभीर रूप से उठाया है। पीड़ित मजदूरों ने मजदूरी दिलाने की मांग की ताकि उनके बच्चो व परिवार का भरण पोषण कर सके।

Bandhua Majaduri के पीछे यह है फैक्ट

  • 12-18 घंटे तक काम करवाया(Bandhua Majaduri) जाने पर भी वे मेहनताना नहीं मांग पाते
  • कमरतोड़ काम करवाने वाले दलालों को भारी रकम दे चुके होते हैं
  • युवाओं की एक पगार के बजाय मजदूरी के लिए तीन बच्चे मिल जाते हैं
  • बच्चे ज्यादा काम का विरोध भी नहीं कर पाते, जबकि युवा काम छोड़ जाते हैं
  • पुलिस मानव तस्करी, श्रम अधिनियम में मामला दर्ज नहीं करती
  • श्रम विभाग रेस्क्यू के बाद निगरानी नहीं करते, जिससे पुन: बंधुआ श्रम होता है।

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