Ambe Ji ki Arti : माँ अम्बे जी की आरती, जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी.

Ambe Maa: हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है.पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है. दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है.

Ambe Ji ki Arti :- दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें प्रकृति देवी, देवी, शक्ति, आदिमाया, भगवती, माता रानी, जग्दम्बा, सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं. शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं. दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है. वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं.उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं.

-: माँ अम्बे जी की आरती | Ambe Ji ki Arti :-

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी.

तुमको निशदिन ध्यावत,हरी ब्रह्मा शिवरी..

ॐ जय अम्बे गौरी…

मांग सिंदूर विराजत, टिको मृगमद को.

उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको..

ॐ जय अम्बे गौरी…

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजे.

रक्तपुष्प गल माला,कंठन पर साजे..

ॐ जय अम्बे गौरी…

केहरी वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी.

सुर- नर- मुनि- जन सेवत, तिनके दुःखहारी..

ॐ जय अम्बे गौरी…

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कानन कुंडल शोभित ,नासाग्रे मोती.

कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति..

ॐ जय अम्बे गौरी…

सुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती.

धूम्र विलोचन नैना,निशदिन मदमाती..

ॐ जय अम्बे गौरी…

चाँद-मुंड संहारे,शोणित बिज हरे.

मधु-कैटभ दोउ मारे ,सुर भयहीन करे..

ॐ जय अम्बे गौरी…

ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमला रानी.

आगम-निगम बखानी,तुम शिव पटरानी..

ॐ जय अम्बे गौरी…

चौसठ योगिनी गावत,नृत्य करत भौरव .

बाजत ताल मर्दानगा ,और बाजत डमरू ..

ॐ जय अम्बे गौरी…

तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता.

भक्तन की दुःख हरता,सुख सम्पति करता..

ॐ जय अम्बे गौरी…

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भुजा चार अति शोभित ,वर-मुद्रा धारी.

मनवांछित फल पावत,सेवत नर-नारी..

ॐ जय अम्बे गौरी…

कंचन थाल विराजत,अगर कपूर बाती.

श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति ..

ॐ जय अम्बे गौरी…

श्रीअम्बे जी की आरती,जो कोई नर गावै.

कहत शिवानन्द स्वामी ,सुख सम्पति पावे..

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी.

तुमको निशदिन ध्यावत,हरी ब्रह्मा शिवरी..

ॐ जय अम्बे गौरी…

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