Sharaphat Ka Libaaj:शराफत का चौला और कर्म में गोला,समाज के लिए हानिकारक।
Sharaphat Ka Libaaj Ode Hanikarak Log :- आपके साथ एक प्रेरक प्रसंग साझा कर रहा हूं। जिससे हमें शराफत का चौला ओढ़े हुए लोगो का पता लगाना आसान हो जाता हैं। प्रसंग कुछ ऐसा हैं -एक कबूतर और एक कबूतरी एक पेड़ की डाल पर बैठे थे। उन्हें बहुत दूर से एक आदमी आता दिखाई दिया। कबूतरी के मन में कुछ शंका हुई और उसने कबूतर से कहा कि चलो जल्दी उड़ चलें नहीं तो ये आदमी हमें मार डालेगा।
शिकारी ने शिकार कर लिया
कबूतर ने लंबी सांस लेते हुए इत्मीनान के साथ कबूतरी से कहा – भला उसे ग़ौर से देखो तो सही उसकी अदा देखो, लिबास देखो, चेहरे से शराफत टपक रही है, ये शरीफ (Sharaphat Ka Libaaj) आदमी हमें क्या मारेगा। बिलकुल सज्जन पुरुष लग रहा है ? कबूतर की बात सुनकर कबूतरी चुप हो गयी।
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जब वह आदमी उनके करीब आया तो अचानक उसने अपने वस्त्र के अंदर से तीर-कमान निकाला और झट से कबूतर को मार दिया और बेचारे उस कबूतर के वहीं प्राण पखेरू उड़ गये। असहाय कबूतरी ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और बिलखने लगी। उसके दुःख का कोई ठिकाना न रहा और पल भर में ही उसका सारा संसार उजड़ गया।
दयालु राजा
उसके बाद वह कबूतरी रोती हुई अपनी फरियाद लेकर उस राज्य के राजा के पास गई और राजा को उसने पूरी घटना बताई।राजा बहुत दयालु इंसान था। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को उस शिकारी को पकड़ कर लाने का आदेश दिया। तुरंत शिकारी को पकड़ कर दरबार में लाया गया। शिकारी ने डर के कारण अपना जुर्म कुबूल कर लिया। उसके बाद राजा ने कबूतरी को ही उस शिकारी को सज़ा देने का अधिकार दे दिया और उससे कहा कि – तुम जो भी सज़ा इस शिकारी को देना चाहो दे सकती हो, तुरंत उस पर अमल किया जाएगा।
लिबास न बदलने की सजा
कबूतरी ने बहुत दुःखी मन से कहा कि – हे राजन, मेरा जीवन साथी तो इस दुनिया से चला गया जो फिर कभी भी लौटकर नहीं आएगा। इसलिए मेरे विचार से इस क्रूर शिकारी को बस इतनी ही सज़ा दी जानी चाहिए कि – अगर वो शिकारी है तो उसे हर वक़्त शिकारी का ही लिबास पहनना चाहिए।
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कहानी से शिक्षा :- यह शराफत का लिबास वह उतार दे क्योंकि शराफत का लिबास ओढ़कर धोखे से घिनौने कर्म करने वाले ही समाज के लिए हानिकारक होते हैं।✒️ कन्हैया
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