9 FACTS ABOUT NAURATRI: क्या आप जानते हैं नौ जड़ी बूटी और नौ दुर्गा के बारे में।
क्या आप जानते हैं - 9 औषधियों के पेड़ पौधे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा गया है...
9 FACTS ABOUT NAURATRI AND NINE HERBS :- हमारे देश में प्रत्येक पर्व के पीछे एक विशेष वैज्ञानिक कारण जरूर रहता हैं। ठीक उसी तरह जब देश में शारदीय नौरात्र मनाये जाते है तो उनके साथ ही कुछ औषधीय गुणों से भरपूर पौधो को भी महत्त्व दिया गया हैं। हम इस पोस्ट में उन पौधो और नौ दुर्गा के नौ रूपों के बारे में चर्चा करने वाले हैं।
प्रथम शैलपुत्री (हरड़) | 9 FACTS ABOUT NAURATRI
कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है, जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।
ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)
ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है, इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।
चंद्रघंटा (चंदुसूर)
यह एक ऎसा पौधा है, जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।
कूष्मांडा (पेठा) | 9 FACTS ABOUT NAURATRI
इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं, इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है।
स्कंदमाता (अलसी)
देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है, इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक से भूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए। यह खून भी साफ करता है।
कात्यायनी (मोइया) | 9 FACTS ABOUT NAURATRI
देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है, जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।
कालरात्रि (नागदौन)
यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं, यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है. यह पाइल्स के लिये भी रामबाण औषधि है. इसे स्थानीय भाषा जबलपुर में दूधी कहा जाता है.
महागौरी (तुलसी)
तुलसी सात प्रकार की होती है, सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर हृदय रोगों का नाश करती है। एकादशी को छोड़कर प्रतिदिन सुबह ग्रहण करना चाहिए।
सिद्धिदात्री (शतावरी)
दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है। विशेषकर प्रसूताओं (जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता है) उनके लिए यह रामबाण औषधि है, इसका सेवन करना चाहिए।
यह भी पढ़े :- Navratri 2023 Upay : इस नवरात्री करे यह छोटा उपाय, मिलेंगा आर्थिक लाभ
आइए, हम सभी इस नवरात्रि (9 FACTS ABOUT NAURATRI ) के पावन अवसर पर इन प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करें। सबका भला सोचते हुये, सदैव प्रसन्न रहें। जो प्राप्त है, पर्याप्त है बस इसी सोच के साथ अपना व अपने परिवार के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुये सदा हंसते – मुस्कुराते रहें और सदा चलते रहें। जोश, जुनून और जज्बे के साथ वो हाथ सदा पवित्र होते हैं, जो प्रार्थना से ज्यादा सेवा के लिये उठते हैं।
इसी प्रकार की जानकारी और समाचार पाना चाहते हैं तो, हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़े व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए “कृपया यहां क्लिक” करे।